Wednesday, February 25, 2015

क्या पुनर्जन्म है?

क्या पुनर्जन्म है। .? अभी मै  किसी लेखक का यह लेख पढ़ रहा था की यदि पुनर्जन्म का वैज्ञानिक आधार मिल जाये तो ईश्वर होने का विश्वास हो जाये।

उस लेखक के अनुसार पुनर्जन्म का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

यह सच है की विज्ञानं पुनर्जन्म को नहीं मानता। लेकिन इसका यह मतलब यह नहीं है पुअनर्जन्म है ही नहीं। यदि ऐसा होता तो हमारे वेद और पुराण उसका ज़िक्र क्यों करते , और भगवन श्री कृष्ण गीता में क्यों आत्मा की अमरता का वर्णन करते।

हमारे धर्मग्रन्थ कोई कारोबार नहीं करते है उनका तो हमपे अहसान है की वोह हमें जीने का रास्ता दिखाते है। हमारे धर्मग्रन्थ ना हो तो इस कलयुग में हमारा जीना ही मुश्किल हो जाए।

जीवन का क्या प्रयोजन है यह हम अपने फलसफे से नहीं जान सकतेइसके लिए हमें थोड़ा परिश्रम करना होगा और अपने धर्मग्रंथो का अध्ययनऔर उनपर विश्वास करना होगा।

मनुष्य इतना कमजोर क्यों हो जाता है की जरा सा हवा का झोंका आया तो वोह ईश्वर धर्म और पुनर्जन्म पर ही सवाल उठा देता है। .? अरे ज़रा बगल वाले का दुःख और उसके बावजूद उसके ईश्वर और ईश्वर के नियमो पर विश्वास तो देखो।   जीवन में दुःख सुख मृत्यु और जन्मइन सबका एक कारण है और इसका जवाब हमारे धर्मग्रंथो में है।

मनुष्य और जानवर में निद्रा भय मैथुन आहार समान  है फर्क है कि मनुष्य में सोचने की शक्ति है और जानवर में नहीं। क्योकि हम इंसान है इसलिए हमें सोचना होगा और ईश्वर के दिखाए गए नियमो पर चलना और विश्वास करना होगा।

कई मनुष्यो को सुख का आभास दुसरो के सुख से मिलता है और जीने की चाह किसी अच्छे मकसद के लिए जीने के लिए होती है। अपने चारो तरफ देखिये आपको हज़ारो ऐसे मनुष्य मिलेंगे।  अरे अपने लिए जिया तो क्या जिया। मनुष्य हर काम व्यवसाय के लिए नहीं करता है , हरकाम साबुन या टूथपेस्ट बेचने के लिए नहीं करता है। और हर सुख सेक्स और पैसे से संचालित नहीं होता। और ईश्वर पर विश्वास भय से संचालित नहीं होता बल्कि जो बुद्धि हमें ईश्वर ने दी है उससे संचालित होता है। है ना .?